The World Of Pankaj
मेरी दुनिया मेरी कहानी,मेरे सपने मेरी ज़बानी...............
Saturday, October 16, 2010
Sunday, May 2, 2010
एक ऐसा जलाए दीया आज हम,
अमावसी रात को पूनमी जो करे।
रौशनी का जो केवल दिखावा करे ,
उन सितारों की हमको ज़रूरत नहीं।
करने वाले ने वादे किए है बहुत,
लेकिन पूरा करेंगे,ये वादा नहीं।
जिनके काँधे से ताक़त विदा ले गयी।
उन सहारों की हमको ज़रूरत नहीं।
यो समंदर में पानी की सीमा नहीं,
लेकिन पीने के काबिल नहीं बूँद भी,
जिनसे प्यासों को जीवन न मिल सके,
उन फूहारो की हमको ज़रूरत नहीं।
कुछ बदलने से मौसम-ए-ख़ुशी तो मिली,
चाहता हू ये मौसम न बदले कभी।
जिनके आने से बगिया में रौनक ना हो,
उन बहारो की हमको ज़रूरत नहीं।
अमावसी रात को पूनमी जो करे।
रौशनी का जो केवल दिखावा करे ,
उन सितारों की हमको ज़रूरत नहीं।
करने वाले ने वादे किए है बहुत,
लेकिन पूरा करेंगे,ये वादा नहीं।
जिनके काँधे से ताक़त विदा ले गयी।
उन सहारों की हमको ज़रूरत नहीं।
यो समंदर में पानी की सीमा नहीं,
लेकिन पीने के काबिल नहीं बूँद भी,
जिनसे प्यासों को जीवन न मिल सके,
उन फूहारो की हमको ज़रूरत नहीं।
कुछ बदलने से मौसम-ए-ख़ुशी तो मिली,
चाहता हू ये मौसम न बदले कभी।
जिनके आने से बगिया में रौनक ना हो,
उन बहारो की हमको ज़रूरत नहीं।
Friday, March 12, 2010
काश ऐसा होता ......
नदी की रेत होते हम.नदी के साथ बह जाते।
तुम्हारी अंजुमन में हम शमां के साथ जल जाते।
चलो इस दौर में तुमने हमे अपना तो बतलाया
निगाहे तुम चुराते गर यहाँ किस ठौर रह पाते।
ये अपनी रहगुजर ऐसी की इसमें है दखल अपना,
यहाँ हम दुश्मनी की राह में ऐसे न चल पाते।
कोई आकर हमारी आँख से आंसु चुरा लेता,
हमारी आँख के मोती इन्ही राहों में ढल जाते।
उठाकर इस तरह पर्दा मेरे दर पर अगर आए,
गिरी है बिजलियां जिसपर वो दिल की बात कह जाते।
नज़र से गर तुम मिलते नज़र कुछ तो नज़र कहती,
वही मेरी ग़म की कहानी है,जो मुख से हम न कह पाते।
तुम्हारी अंजुमन में हम शमां के साथ जल जाते।
चलो इस दौर में तुमने हमे अपना तो बतलाया
निगाहे तुम चुराते गर यहाँ किस ठौर रह पाते।
ये अपनी रहगुजर ऐसी की इसमें है दखल अपना,
यहाँ हम दुश्मनी की राह में ऐसे न चल पाते।
कोई आकर हमारी आँख से आंसु चुरा लेता,
हमारी आँख के मोती इन्ही राहों में ढल जाते।
उठाकर इस तरह पर्दा मेरे दर पर अगर आए,
गिरी है बिजलियां जिसपर वो दिल की बात कह जाते।
नज़र से गर तुम मिलते नज़र कुछ तो नज़र कहती,
वही मेरी ग़म की कहानी है,जो मुख से हम न कह पाते।
Saturday, January 23, 2010
हो जाने दो........
अपने गीतों में ढाल मुझको गुनगुनाने दो।
दिए की लौ की तरह झिलमिलाने दो।
दीप आकाश में ज्यो उम्र ये अभिसार की हो,
वक़्त के वेग में भी नाम मेरे प्यार का हो ,
हृदय की कोर में मधुरात ये छुपाने दो।
दिए की लौ की तरह झिलमिलाने दो।
दीप आकाश में ज्यो उम्र ये अभिसार की हो,
वक़्त के वेग में भी नाम मेरे प्यार का हो ,
हृदय की कोर में मधुरात ये छुपाने दो।
हर एक पल की महक सावनी फुहार सी हो,
सांसो के साज में झंकार ज्यो सितार की हो,
मिलन की अर्चना में रूप तो सजाने दो।
मन के साँस से प्रीत अमर हो अपना ,
बिना ही सब्द कहे गीत मुखर सजना
मचलती रात है दिए तो सजाने दो।
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